रांची में ब्राउन शुगर का कारोबार 29 साल पुराना है. वर्ष 1997 में यह शुरू हुआ था.

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संदीप सिन्हा

रांची में ड्रग्स के कारोबार में मुख्य रूप से पांच लोग सक्रिय है
रांची में ब्राउन शुगर का कारोबार 29 साल पुराना है. वर्ष 1997 में यह शुरू हुआ था. ब्राउन शुगर के कारोबार से जुड़े एक शख्स ने जो अब बहुत पहले इस कारोबार से खुद को अलग कर चुका है, नाम नहीं छापने की शर्त पर कई खुलासे किये.

 

रांची में ब्राउन शुगर का कारोबार 29 साल पुराना है. वर्ष 1997 में यह शुरू हुआ था. ब्राउन शुगर के कारोबार से जुड़े एक शख्स (इस धंधे को छोड़ चुका है) ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कई खुलासे किये. उसने कहा कि रांची में फिलहाल पांच लोग ब्राउन शुगर की सप्लाई में मुख्य रूप से सक्रिय हैं. इनमें मूल रूप से उत्तरप्रदेश का रहनेवाला (वर्तमान में कोकर में रहता है) गुलाब मुख्य सप्लायर है. यह बंटी (लोअर बाजार क्षेत्र का) और गोपी (हिनू का रहनेवाला) नामक व्यक्ति को गाजीपुर से ब्राउन शुगर मंगवाकर देता है. फिर यह दोनों रांची के विभिन्न थाना क्षेत्रों में पैडलरों को ब्राउन शुगर उपलब्ध कराते हैं.

इसी तरह सुखदेवनगर थाना क्षेत्र में रणधीर और स्टेशन रोड ऑटो स्टैंड के पास मनोज नामक व्यक्ति ब्राउन शुगर की सप्लाई करता है. रणधीर पलामू से ब्राउन शुगर मंगवाता है. धंधेबाजों ने ब्राउन शुगर को ‘बीएस’ नाम दिया है. इसी नाम से रांची शहरी क्षेत्र में ड्रग्स बेचने का गोरखधंधा चलता है. गोपी पूर्व में दो बार जेल भी जा चुका है. बंटी को अब तक एक बार भी पुलिस नहीं पकड़ पायी है. उसने पहले सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के रहनेवाले पंकज के माध्यम से ड्रग्स के धंधे का विस्तार कराया. हालांकि दो बार जेल जाने के बाद पंकज ने धंधा छोड़ दिया. अब बंटी खुद लालपुर थाना क्षेत्र के छोटानागपुर स्कूल की गली में छोटे धंधेबाजों को ब्राउन शुगर सप्लाई करता है. पुराने कारोबारी की मानें, तो ड्रग्स के कारण रांची के पुराने जेल में बंद एक शख्स के अलावा विद्यानगर, नगड़ा टोली, इस्लाम नगर व चौकी गली के एक-एक व्यक्ति की मौत आठ-दस वर्ष पूर्व हो चुकी है.

 रांची के लोअर बाजार थाना क्षेत्र से शुरू हुआ था धंधा :

ड्रग्स के पुराने धंधेबाज ने बताया कि सबसे पहले रांची में लोअर बाजार थाना क्षेत्र से वर्ष 1997 में ड्रग्स की सप्लाई शुरू हुई थी. कर्बला के समीप रहनेवाले एक व्यक्ति ने इस कारोबार की शुरुआत की थी. उसका अब निधन हो चुका है. उसका बेटा वर्ष 2000 से 2012 तक ब्राउन शुगर बेचता था. एक बार जब उसके घर पर अपराधियों ने हमला किया तो वह रांची का घर बेचकर जमशेदपुर चला गया. वहां जाने के बाद उसने फिर से ब्राउन शुगर बेचना शुरू किया. वहां पहले से मौजूद धंधेबाज ने जब उसका विरोध किया तो फिर वह रांची लौट आया. हालांकि, अब वह सक्रिय नहीं है.

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