अनुराग गुप्ता DGP बने रहेंगे या होंगे रिटायर, हो जाएगा फैसला

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 अनुराग गुप्ता DGP बने रहेंगे या होंगे रिटायर, हो जाएगा फैसला

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं लेकिन उनके भविष्य का फैसला आज ही होगा। केंद्र सरकार ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं जिसके बाद राज्य सरकार मंथन कर रही है। मुख्यमंत्री के रांची लौटते ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। केंद्र के अनुसार अनुराग गुप्ता को नियमावली के आधार पर हटाया जा सकता है जिसे केंद्र ने गलत बताया है।

डीजीपी अनुराग गुप्ता की सेवानिवृत्ति तिथि 30 अप्रैल 2025 है। वे बुधवार (30 अप्रैल) को सेवानिवृत्त हो जाएंगे या डीजीपी के पद पर बने रहेंगे, इसका फैसला बुधवार को ही हो जाएगा

उन्हें डीजीपी के पद से हटाए जाने संबंधित केंद्र के पत्र के बाद गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग में मंगलवार को मंथन चला है। मुख्यमंत्री के रांची आते ही इसपर अंतिम रूप से निर्णय होगा।

बहरहाल, केंद्र ने जिसके आधार पर उन्हें डीजीपी के पद से हटाने को कहा है, वह आधार राज्य सरकार की नियमावली है।
उक्त नियमावली को केंद्र ने गलत बताया है और खामियों को इंगित करते हुए राज्य सरकार से पत्राचार किया है कि 30 अप्रैल को अनुराग गुप्ता को सेवानिवृत्त करें।
डीजीपी की नियुक्ति को लेकर जनवरी 2025 में नियुक्ति नियमावली बनी थी, जिसपर कैबिनेट की स्वीकृति ली गई थी।

सीनियर से बदतमीजी पड़ेगी भारी

उक्त नियुक्ति नियमावली के आधार पर चयन समिति का गठन हुआ, जिसके अध्यक्ष झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जस्टिस रत्नाकर भेंगरा बनाए गए।
समिति मं मुख्य सचिव, गृह सचिव, सेवानिवृत्त डीजीपी, जेपीएससी के एक प्रतिनिधि को सदस्य बनाया गया। इस समिति में यूपीएससी के एक सदस्य को भी रखना था।
डीजीपी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं, जिनका नियंत्री प्राधिकार केंद्र सरकार है। इसलिए बगैर केंद्र की अनुमति के चयन समिति का फैसला मान्य नहीं होगा।
नियमित डीजीपी बनाए जाने के बाद दो माह ही बची थी नौकरी

भारतीय पुलिस सेवा में 30 वर्ष की नौकरी पूरा करने वाले आइपीएस अधिकारी को डीजी रैंक में प्रोन्नति मिलती है, जो डीजीपी बनने की योग्यता रखते हैं।
प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के केस में सर्वोच्च न्यायालय के जिस फैसले के आधार पर डीजीपी की नियुक्ति होती है, उसमें संबंधित आइपीएस अधिकारी की कम से कम छह महीने की नौकरी बची होनी चाहिए, उसे ही डीजीपी बनाया जा सकता है वह भी दो साल के लिए।
अनुराग गुप्ता राज्य सरकार की नियमावली के आधार पर दो फरवरी 2025 को नियमित डीजीपी बने थे। यानी, सेवानिवृत्ति तिथि से केवल दो माह पहले। अगर उस नियमावली को भी माना जाय तो वे डीजीपी बनने की योग्यता नहीं रखते थे।

सरकार के पास नहीं है वक्त

अनुराग गुप्ता मामले में अब राज्य सरकार के पास केवल बुधवार का वक्त है। सरकार अगर हाई कोर्ट जाएगी भी तो उसे बुधवार को ही सुनवाई का आग्रह करना होगा। यह कोर्ट पर निर्भर करता है।
दूसरा यह है कि अगर अनुराग गुप्ता को डीजीपी पद पर बनाए रखेगी तो केंद्र सरकार उनके वेतन को रोक सकता है। केंद्र व राज्य सरकार के बीच तकरार बढ़ेगा।
राज्य सरकार अनुराग गुप्ता को सेवानिवृत्त भी करती है तो फिलहाल, किसी दूसरे सीनियर आइपीएस अधिकारी को प्रभारी डीजीपी बनाएगी।
डीजीपी के रेस में 1990 बैच के आइपीएस अधिकारी अनिल पाल्टा, 1992 बैच के आइपीएस अधिकारी प्रशांत सिंह व 1993 बैच के आइपीएस अधिकारी एमएस भाटिया हैं। सबकी नजरें राज्य सरकार के निर्णय पर टिकी है।

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