जून में बदल जाएगा झारखंड का हुकूमत? गांडेय विधानसभा के उपचुनाव के रिजल्ट पर टिकी हैं सबकी निगाहें,
संदीप सिन्हा
जून में बदल जाएगा झारखंड का हुकूमत? गांडेय विधानसभा के उपचुनाव के रिजल्ट पर टिकी हैं सबकी निगाहें,
लोकसभा के पांचवें चरण के मतदान के साथ ही झारखंड की गांडेय विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव संपन्न हो गया। हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बनाने की चर्चा थी। इसके लिए उन्हें विधानसभा का सदस्य होना बाद में जरूरी होता। इसलिए जेएमएम ने गांडेय से अपने विधायक सरफराज अहमद से इस्तीफा दिलवा दिया, ताकि कल्पना वहां से चुनाव लड़ सकें।
रांची: लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में सोमवार को झारखंड की तीन लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई। इसके साथ ही गांडेय विधानसभा के उपचुनाव का भी मतदान हुआ। लोकसभा चुनाव के परिणाम पर सबकी निगाहें तो टिकी ही हुई हैं, पर गांडेय के उपचुनाव को लेकर भी सबकी उत्सुकता बनी हुई है। गांडेय में जमीन घोटाले के आरोपी पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन विधानसभा का उपचुनाव लड़ रही हैं। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के पहले ही आनन-फानन में इस सीट से जेएमएम के विधायक सरफराज अहमद ने इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा 31 दिसंबर 2023 को मंजूर हो गया था।
JMM ने खाली कराई थी गांडेय सीट
विधायकी से इस्तीफे का कारण आलम ने निजी बताया था, लेकिन असल वजह दूसरी थी। उनसे यह सीट खाली कराई गई थी। इस त्याग के बदले पार्टी ने अभी तक उन्हें पारितोषिक नहीं दिया है, लेकिन तब यह आम चर्चा थी कि पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजेगी। हेमंत की योजना थी कि उनके गिरफ्तार हो जाने के बाद लालू यादव के अंदाज में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सीएम बनेंगी। चूंकि कल्पना विधानसभा की सदस्य नहीं हैं, इसलिए सीएम पद की शपथ लेने के छह माह के अंदर उन्हें चुनाव लड़ना पड़ता। तब जेएमएम कोटे की कोई सीट खाली नहीं थी। गांडेय से सरफराज को पार्टी ने इस्तीफे के लिए राजी कराया
जेएमएम की विधायक हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ही इसके विरोध में खड़ी हो गईं। उनका कहना था कि जब परिवार से ही किसी को सीएम बनाना है तो यह मौका उन्हें मिलना चाहिए। वे कई बार विधायक रह चुकी हैं और परिवार की बड़ी बहू हैं। हेमंत को इसकी आशंका थी, इसलिए उन्होंने दूसरी रणनीति यह बनाई थी कि आम राय न बन पाने की स्थिति में निर्विवाद छवि वाले जेएमएम विधायक चंपई सोरेन को सीएम बना दिया जाए। राबड़ी देवी की तरह कल्पना की किस्मत नहीं निकली। वे सीएम बनते-बनते रह गईं।
सब कुछ ठीक रहा तो होगी ताजपोशी
चूंकि हेमंत सोरेन ने कल्पना को सीएम बनाने के लिए ही गांडेय की सीट खाली कराई थी, इसलिए जब उपचुनाव की घोषणा हुई तो जेएमएम ने गांडेय सीट से कल्पना सोरेन को उम्मीदवार घोषित कर दिया। वैसे तो उपचुनाव के नतीजे भी चार जून को ही घोषित होंगे, लेकिन चुनाव के रुझान को देखते हुए कल्पना की जीत पक्की मानी जा रही है। इसी के साथ यह चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल के बचे कुछ महीनों के लिए ही सही, पर कल्पना सीएम जरूर बनेंगी।
कल्पना की राजनीति में रुचि भी बढ़ी है
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन की राजनीति में रुचि भी बढ़ने लगी है। वे इंडी अलायंस की सभाओं में शामिल होती रही हैं। चुनाव प्रचार में भी भाग लेती रही है। पति हेमंत के सोशल मीडिया अकाउंट को भी कल्पना खुद हैंडल करने लगी हैं। शायद वे पार्टी और गठबंधन क नेताओं को यह संदेश देना चाहती हैं कि सीएम बनने की उनमें पूरी क्षमता है। जेएमएम चूंकि परिवार केंद्रित पार्टी है, इसलिए सुप्रीमो शिबू सोरेन की बात मानना पार्टी के हर नेता की मजबूरी है। इसलिए माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही उनके राजतिलक की भी तैयारी शुरू हो जाएगी।
CM बनना, न बनना कल्पना की मर्जी
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कल्पना ने अगर त्याग का भाव दिखाते हुए चंपई सोरेन को ही सीएम बनाए रखने की उदारता दिखाई तो उनका कद बढ़ जाएगा। सीएम न रहने पर ही उनकी बात तो सभी सुनते ही हैं। वे अपने और महागठबंधन के विधायकों के साथ बैठकें करती हैं तो सभी उनकी बात सुनते हैं। इंडी अलायंस के नेता के रूप में भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश की है। उनकी उदारता से पार्टी में खटपट की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी। पर, कुर्सी का मोह त्यागना किसी के लिए आसान नहीं है। कल्पना अपने लोभ का कितना संवरण कर पाती हैं, यह देखने वाली बात होगी। वे शार्टकट पसंद करती हैं या अपने लिए दीर्घकालिक जमीन तैयार करती हैं, अब पूरी तरह उन पर ही निर्भर होगा। इसलिए जीत के बाद उनके सीएम बनने की बड़ी बाधा खत्म हो जाएगी।