कल्पना सोरेन बनेंगी झारखंड की सीएम? विधानसभा का सदस्य बनते ही JMM में शुरू हुआ मंथन

0

Oplus_131072

 संदीप सिन्हा

कल्पना सोरेन बनेंगी झारखंड की सीएम? विधानसभा का सदस्य बनते ही JMM में शुरू हुआ मंथन

झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन सोमवार (10 जून 2024) को विधानसभा की विधिवत सदस्य बन गईं। जिस मकसद से उन्होंने घर की दहलीज से सियासत की सीढ़ी पर कदम रखा था, अब उसके पूरा होने की बारी है। क्या अब वे झारखंड की सत्ता संभालेगी, इस सवाल का जवाब तलाशती यह रिपोर्ट

झारखंड के सीएम रहे हेमंत सोरेन के जमीन घोटाले में जेल जाने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की कमान संभाल ली है। सीएम की कुर्सी पर चंपाई सोरेन जरूर काबिज हैं, लेकिन सरकार के फैसलों पर अंतिम मुहर अब भी हेमंत की ही लगती है। कल्पना सोरेन भी उन फैसलों में रुचि रखती हैं। कल्पना शपथ लेने के बाद अब विधिवत विधायक बन चुकी हैं। उन्हें सीएम बनाने की गरज से हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले ही इसकी पुख्ता योजना बना ली थी। योजना तो यह थी कि हेमंत के गिरफ्तार होते ही कल्पना को सीएम पद की शपथ दिला दी जाए। छह महीने के अंदर उन्हें विधानसभा का चुनाव लड़ कर आना होता। समय का ख्याल रखते हुए हेमंत ने गांडेय से अपनी पार्टी के विधायक से इस्तीफा दिला कर कल्पना का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।

पार्टी की फुसफुसाहट से सीएम नहीं बनीं कल्पना

हेमंत सोरेन को यह अंदेशा हो चला था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पिंड छुड़ाना आसान नहीं। यह अब असंभव और अपरिहार्य है। कल्पना के नाम पर बहुमत तो था, पर पार्टी में इसे लेकर फुसफुसाहट भी थी। हेमंत ने प्लान ‘बी’ भी बना लिया था। फुसफुसाहट की नौबत न आए, इससे बचने के लिए चंपाई सोरेन का ऐसा नाम भी विकल्प के तौर पर सामने रख दिया, जिस पर असहमति का प्रश्न ही पैदा नहीं होता था। बेदाग छवि के जेएमएम के पुराने साथी चंपाई सोरेन को राजनीति का लंबा अनुभव है। सामने लोकसभा चुनाव को देखते हुए हेमंत अपनी गैरहाजिरी में पार्टी के भीतर कोई विवाद खड़ा करना नहीं चाहते थे। इसलिए मन की इच्छा बता कर हेमंत ने कल्पना के सीएम बनने की संभावना पर चर्चा का मौका तो दे ही दिया।

 

 कल्पना का कमाल, ‘इंडिया’ की सीटें बढ़ीं

लोकसभा चुनाव के परिणाम ने कल्पना का कद बढ़ा दिया है। बीते दो चुनावों से दो सीटों पर सिमटा विपक्षी गठबंधन इस बार पांच सीटें जीतने में कामयाब रहा। कांग्रेस सात सीटों पर लड़ कर दो सीटें जीती तो जेएमएम पांच पर लड़ कर तीन सीटें जीतने में सफल रहा। इससे कल्पना के कद का लोगों को पता चला। कल्पना की काबिलियत तब और उभर कर सामने आई, जब घर की पार्टी छोड़ कर भाजपा के आंगन में जा बैठीं अपनी जेठानी सीता सोरेन का खेल उन्होंने बिगाड़ दिया। भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन को हराने में कल्पना सोरेन की की मेहनत ने रंग दिखाया और जेएमएम उम्मीदवार नलिन सोरेन दुमका से जीत गए।

कल्पना किचन से कैबिनेट की ओर बढ़ीं

 

कल्पना आधिकारिक तौर पर सीएम नहीं हैं, पर उनके सहमति के बिना शायद ही कोई फैसला होता होगा। जरूरत पड़ने पर वे पति हेमंत सोरेन से सलाह भी लेती होंगी। अब वे विधायक बन गई हैं। सीएम बनने की अर्हता भी पूरी कर रही हैं। अब पार्टी को यह तय करना है कि उन्हें विधानसभा के बचे कुछ महीनों के कार्यकाल के लिए सीएम बनाती है या चंपाई सोरेन को ही कंटिन्यू करती है। पार्टी के भीतर इस पर मंथन महज औपचारिकता है। हेमंत जब चाहें, उन्हें सीएम बनवा सकते हैं। पर, क्या हेमंत के लिए यह उचित होगा ? कम समय में कल्पना सियासत के जिस मुकाम पर पहुंच गई हैं, उसमें चार-छह महीने का इंतजार उनको और ऊंचाई पर ले जा सकता है। हफ्ते-दस दिन में इस रहस्य से भी पर्दा उठ जाएगा।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *