झारखंड: बिहार में स्कूटर से जानवर ढोना,झारखंड में अब 32 करोड़ स्कूटी से ढोना,अजब कहानी

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 संदीप सिन्हा

झारखंड: बिहार में स्कूटर से जानवर ढोना,झारखंड में अब 32 करोड़ स्कूटी से ढोना,अजब कहानी

: मैं झारखंड हूं,मेरा नया नाम अब लूटखंड है! अफसर, नेता… किस-किस का नाम लूं मैं, मुझे हर किसी ने लूटा

झारखंड को अब लोग लूटखंड कहने लगे हैं। बिहार से अलग होकर झारखंड बनने के 24 वर्षों में भ्रष्टाचार और लूट के जितने मामले उजागर हुए हैं, उतने शायद इसके साथ ही बने उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में हों। सवाल ये कि क्या वाकई झारखंड लूट का अड्डा बन गया है?

झारखंड अजब-गजब खबरों के लिए अब मशहूर हो चुका है। निर्दलीय विधायक के सीएम बन जाने का झारखंड पहला उदाहरण है। झारखंड के सीएम रहे दो नेता जेल जा चुके हैं। एक अभी बाहर हैं तो दूसरे बाहर आने के लिए बेल का इंतजार कर रहे हैं। बिहार में रहते झारखंड के इलाके में ही बहुचर्चित चारा घोटाला हुआ था। अब तो तरह-तरह के घोटाले सामने आकर चौंका रहे हैं!

रांची: बिहार में पशुपालन घोटाला उजागर होने के पहले ही महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने इसके संकेत दे दिए थे। तत्कालीन राज्य सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट के तथ्यों की अनदेखी की। अनदेखी जानबूझकर की गई या अनजाने में ऐसा हुआ, यह अलग चर्चा का विषय है। जब घोटाले की जांच शुरू हुई तो पता चला कि सांड, भैंस और दूसरे दुधारू पशुओं की ढुलाई जिन वाहनों से की गई, उनके नंबर स्कूटरों के थे। आज जो झारखंड है, वह तब बिहार का ही हिस्सा था। पशुपालन घोटाला भी आज के झारखंड में ही हुआ था। बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत दर्जनों लोगों को पशुपालन घोटाले में सजा भी हुई थी। झारखंड में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव (PS) संजीव लाल के सहायक जहांगीर के घर से 32 करोड़ से अधिक का जो कैश बरामद हुआ, उसे भी ठिकाने तक लाने में स्कूटी का ही इस्तेमाल हुआ है।

 

स्कूटी से ढोए 32 करोड़ रुपए

संजीव लाल और उसके निजी सहायक जहांगीर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने तकरीबन 32 करोड़ कैश बरामदगी मामले में गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है। पूछताछ में जहांगीर ने 32 करोड़ रुपए स्कूटी से ढोने और ठिकाने तक लाने की जानकारी देकर सबको चौंका दिया है। उसने बताया है कि किसी के शक से बचने के लिए उसने साधारण झोलों में भर कर नोट स्कूटी से ढोए। उसने कहां-कहां से नोट कलेक्ट किए, इस बारे में भी ईडी को जानकारी दी है। संजीव लाल से जुड़े कई और लोगों के बारे में भी ईडी को जानकारी मिली है। इनमें कई नेताओं, अधिकारियों और बिल्डरों के नाम शामिल हैं।

 संजीव लाल सस्पेंड किए गए

गिरफ्तारी के बाद झारखंड के कार्मिक विभाग ने संजीव लाल को सस्पेंड कर दिया है। फिलहाल वह ईडी की रिमांड पर है। संजीव की पत्नी से भी ईडी ने पूछताछ की है। दो बिल्डरों को भी ईडी ने पूछताछ के लिए समन भेजा है। पूछताछ और गिरफ्तारी का सिलसिला लंबा चलने के कयास लगाए जा रहे हैं। जांच की आंच कई बड़े लोगों तक पहुंचने के संकेत भी ईडी की सक्रियता से सामने आ रहे हैं। सचिवालय स्थित संजीव के कमरे की भी ईडी ने तलाशी ली थी

पूर्व मुख्यमंत्री को अरेस्ट कर चुका है ED

झारखंड में ईडी की सक्रियता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि सूबे के सीएम रहे हेमंत सोरेन को भी जमीन घोटाले में वह गिरफ्तार कर चुका है। झारखंड में पदस्थापित दो आईएएस ईडी की गिरफ्त में आकर जेल जा चुके हैं। करीब आधा दर्जन अधिकारी, कर्मचारी, सत्ता के दलाल और जमीन-शराब के कारोबारी जेल की हवा खा रहे हैं।

 छोटी की खोज में बड़ी मछली

ईडी की टीम ने पहली बार 2022 में झारखंड में दस्तक दी थी। तब खूंटी जिले में 18.6 करोड़ के मनरेगा घोटाले की शिकायतों की जांच के लिए ईडी की टीम पहुंची थी। जांच के क्रम में ईडी ने जब खूंटी की तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापे मारे तो एक ही जगह से 19 करोड़ कैश बरामद हुए थे। जांच ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती गई, कई और घोटालों का राजफाश होने लगा। खनन घोटाले का पता चला तो इसके तार जमीन घोटाले से जुड़ गए। जमीन घोटाले में तरह-तरह के मामले सामने आए। सेना की जमीन की खरीद-बिक्री का राज खुला तो दूसरी जमीन पर कब्जे का पता चला। तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन के प्रतिनिधि पकड़े गए। परिवहन घोटाला सामने आया। कड़ी दर कड़ी घोटालों के तार जुड़े रहे। इसी क्रम में टेंडर घोटाले का भी पता चला।

 सारी सुख सुविधा के बाद भी नेताओ अफसरों को भ्रष्टाचार के आचार के बिना खाना क्यों नही होता हजम ?

 

घोटाले से छह गुना बरामदगी

ईडी ने 18 करोड़ के मनरेगा घोटाले की जांच के क्रम में आरोपियों के ठिकानों से छह गुनी अधिक रकम बरामद की। यह आरोपियों की स्थायी और अस्थायी कुल 106.86 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति है। ईडी इसे अपने कब्जे में ले चुकी है। मनरेगा घोटाले के बारे में झारखंड पुलिस ने 16 प्राथमिकियां दर्ज की थीं। उन्हीं प्राथमिकियां के आधार पर ईडी ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू की थी।

 

 

मधु कोड़ा ने किया था खनन घोटाला

 

झारखंड का सीएम रहते मधु कोड़ा पर खनन घोटाले के आरोप लगे। उनके कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। मनी लांड्रिंग के अलावा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस उन पर चला। मधु कोड़ा पर आरोप था कि उन्होंने रिश्वत लेकर खनन का ठेका लोगों को दिया। मधु कोड़ा और उनके सहयोगियों ने तकरीबन चार हजार करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। इन्हीं आरोपों के मद्देनजर 2009 में मधु कोड़ा को गिरफ्तार किया गया। चार साल जेल में रहने के बाद 2013 में उनकी रिहाई हुई थी। मनी लांड्रिंग मामले में उनकी 144 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क हुई थी। मधु कोड़ा 2017 में दोषी करार दिए गए। 25 लाख रुपए जुर्माने के साथ उन्हें तीन साल की जेल की सजा हुई। मधु कोड़ा के आधे से अधिक मंत्रिमंडलीय सहयोगी भी भ्रष्टाचार के मामलों में जेल की हवा खा चुके हैं। उनमें एक की तो मृत्यु हो गई और बाकी कुछ के खिलाफ अब भी मामले अदालतों में हैं।

 

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