रांची सदर अस्पताल में चढ़ाया संक्रमित खून, कई बच्चों को हो गया एड्स; 

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 रांची सदर अस्पताल में चढ़ाया संक्रमित खून, कई बच्चों को हो गया एड्स;  कोर्ट ने लिया संज्ञान

रांची सदर अस्पताल में रक्त चढ़ाने के बाद बच्चे हो गए एचआईवी संक्रिमत, मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले में एक बच्चे के पिता ने पत्र लिखा था।

रांची सदर अस्पताल में रक्त चढ़ाने के बाद बच्चों के एचआईवी संक्रिमत होने का गंभीर मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने संज्ञान लेते हुए राज्य के स्वास्थ्य सचिव और रांची के सिविल सर्जन से जवाब मांगा है

खून चढ़ाने के बाद संक्रमित हुए एक बच्चे के पिता ने इस मामले में चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। पत्र को जनहित याचिका में तब्दील करते हुए हाईकोर्ट ने जवाब दाखिल करने का निर्देश सरकार को दिया है। इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई संभावित है। वर्ष 2018 में रांची के सदर अस्पताल के डे केयर यूनिट में बच्चे थैलेसीमिया का इलाज हो रहा था। बच्चों को अलग-अलग ब्लड बैंकों के खून चढ़ाए गए थे। इसके बाद कई बच्चे एचआईवी और कुछ बच्चे हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हो गए थे। बच्चों के माता-पिता की जांच भी की गयी थी, जिसमें दोनों निगेटिव पाए गए थे। बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाने की आशंका भी जतायी गयी थी।

झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निगम के और भी कई मामले में सरकार को फटकार लगाई, खराब शौचालयों की स्थिति की मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव, नगर निगम, उपायुक्त और नगर प्रशासक को प्रतिवादी बनाते हुए जवाब मांगा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रांची नगर निगम स्वच्छता और खुले में शौच मुक्त शहर बनाने के अभियान चलाता है। इस पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। खुले में शौच करने वालों से जुर्माना भी वसूला जाता है। निगम के मार्केट में मूलभूत सुविधा जैसे शौचालय की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। नागाबाबा खटाल में शौचालय तो बनाया गया, लेकिन वह लंबे समय से खराब है। मोरहाबादी वेंडर मार्केट में शौचालय का ढांचा बनाकर छोड़ दिया गया है। उपयोग में नहीं है। कोकर सब्जी मार्केट में शौचालय की कोई सुविधा नहीं है। रोज़ाना करीब 200 महिला विक्रेता यहां काम करती हैं, जिन्हें खुले में शौच जाने को मजबूर होना पड़ता है।

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