रांची एयरपोर्ट को भी सतर्क रहने की जरूरत,कभी भी हो सकता है हादसा

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रांची एयरपोर्ट को भी सतर्क रहने की जरूरत,कभी भी हो सकता है हादसा ; 

खतरों का आभास

अहमदाबाद में प्लेन क्रैश के बाद देश भर के एयरपोर्ट पर सावधानियां बरती जा रही हैं। ऐसे में एयरपोर्ट के आसपास के खतरों को पहचान कर उनके निवारण की जरूरत

 अहमदाबाद में विमान हादसे का जो भी कारण रहा हो, लेकिन रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के आसपास की बहुमंजिली इमारतें और मांस-मछली की दुकानें सुरक्षित उड़ान के लिए अनुकूल नहीं मानी जा रहीं

एयरपोर्ट के आसपास आबादी इतनी तेजी से बढ़ी है कि इमारतों का जाल फैल गया है। इससे रनवे का एक छोर का हिस्सा प्रभावित हो रहा है। ऐसे में टेकऑफ और लैंडिंग के समय विमान रनवे के इस भाग का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे। इसके अलावा आसपास के क्षेत्रों में कचड़े और मांस-मछली के दुकानों की बढ बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर खासकर सुबह के दौरान यहां पक्षियों को भगाने के लिए विशेष उपकरणों से निकलने वाली तीव्र आवाज सुनाई देती है। इस आवाज को सुनकर एयरपोर्ट परिसर में उड़ने वाले पक्षी भाग जाते हैं। यहां तक कि बहुमंजिली इमारतों के कारण बिरसा चौक की ओर से रनवे का एक हिस्सा उड़ान के अनुकूल नहीं है।

हाल ही में पटना रांची इंडिगो की फ्लाइट से पक्षी टकरा गया था मगर पायलट की सुझबुझ से 165 यात्रियों की जान बच गई

एयरपोर्ट के आसपास मांस, मछली की दुकानें बर्ड हिट का सबसे बड़ा कारण है। एयरपोर्ट के तीन किमी का दायरा मांस-मछली की बिक्री के लिए प्रतिबंधित होता है, लेकिन बिरसा चौक, विधानसभा के पास, सेक्टर टू मार्केट, हिनू चौक, डोरंडा आदि क्षेत्रों में तो मांस-मछली पर प्रतिबंध लगा है। लेकिन एयरपोर्ट के पूर्वी हिस्से में आवासीय कॉलोनियों का हाल के तीन वर्षों में तेजी से विस्तार हुआ है। इसके कारण यहां भी दिन के दौरान हेथू, चंदाघासी, सिंह मोड़ लटमा रोड आदि जगहों पर खुले में मांस-मछली की बिक्री होती है। जिसकी गंध पाकर पक्षी इस ओर आकर्षित होते हैं।

बिरसा मुंडा एयरपोर्ट प्रबंधन ने नगर निगम को पत्र लिखा,इसमें एयरपोर्ट के 10 किलोमीटर के दायरे में खुले में चलने वाली मांस,मछली की दुकानों को बंद करने का आग्रह किया

बारिश के दिनों में जमीन से निकलने वाले कीडें भी पक्षियों को आकर्षित करते हैं। निचले इलाके में जलजमाव के कारण सांप-चूहे भी उपर में स्थित होने के कारण एयरपोर्ट परिसर में शरण लेते हैं। यह बड़े पक्षियों को आकर्षित करते हैं। जबकि, छोटे और मंझले स्तर के पक्षी नियमित खुराक नहीं मिलने के कारण पक्षी एयरपोर्ट के आसमान में मंडराते रहते हैं। एयरपोर्ट अथॉरिटी और नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम समय-समय पर प्रतिबंधित क्षेत्र में खुले में मांस-मछली बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर जुर्माना भी वसूलती है। , लेकिन मांस-मछली की दुकान पहले की तरह ही फिर से सज जाती है, जिससे बर्ड हिटिंग की आशंका हमेशा बनी रहती है।

1. भगवान बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के आसपास आबादी इतनी तेजी से बढ़ी है कि बहुमंजिली इमारतों का जाल फैल गया है।
रनवे का एक छोर का हिस्सा प्रभावित हो रहा है। ऐसे में टेकऑफ और लैंडिंग के समय विमान रनवे के इस भाग का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे। इमारतों के कारण बिरसा चौक की ओर से रनवे का एक हिस्सा उड़ान के अनुकूल नहीं है।

2. एयरपोर्ट के आसपास कचरा एवं मांस-मछली की दुकानों की बढ़ती संख्या बर्ड हिट की आशंका को बढ़ा रही है। रांची एयरपोर्ट पर विमानों के लैंडिंग और टेकऑफ करते समय कई बार कई बार पक्षियों का झुंड सामने आ जाता है, जो विमान से टकरा जाते हैं। इससे हादसा होने का खतरा है। हालांकि, पायलटों की सूझबूझ से यह बार-बार टहल रहा है।

एयरपोर्ट निदेशक आर मौर्य ने कहा कि बर्ड हिट के लिए एयरपोर्ट प्रबंधन हमेशा सतर्क रहता है। एयरपोर्ट के अंदर पक्षियों को भगाने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। लेकिन, एयरपोर्ट के बाहर खुले में मांस-मछली की बिक्री होना भी बड़ा कारण है। बड़े कीट, सांप आदि बर्ड हिट के कारण बनते हैं। इसे लेकर प्रशासन के साथ बैठक कर उन्हें ये समस्याएं बतायी जाती है।

एयरपोर्ट और आसपास में सुरक्षा, पर्यावरण आदि को लेकर एयरपोर्ट प्रबंधन के साथ रांची प्रशासन की बैठक भी होती है। एयरपोर्ट इनवायरमेंटल कमेटी की बैठक में प्रशासन के अधिकारी से एयरपोर्ट के आसपास इन मामलों पर चर्चा होती है। एयरपोर्ट प्रबंधन इन समस्याओं और मांस-मछली की खुली दुकानों पर कार्रवाई करने के लिए आग्रह करती रही है। बावजूद इलाकों में यह कार्रवाई नहीं हुई। आसपास में कचरे के ढेर और खुले में मांस की दुकानें धड़ल्ले से चल रहीं हैं।

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