महाधिवेशन के बहाने झामुमो तय करेगा राजनीतिक रूप रेखा, हेमंत सोरेन का बड़ा प्लान

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महाधिवेशन के बहाने झामुमो तय करेगा राजनीतिक रूप रेखा, हेमंत सोरेन का बड़ा प्लान!

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का 13वां महाधिवेशन 14-15 अप्रैल को रांची में होगा। इस केंद्रीय महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्तावों के जरिये दल की दिशा तय होगी। महाधिवेशन में झारखंड समेत उन राज्यों से लगभग चार हजार प्रतिनिधि शामिल होंगे जहां संगठन की इकाइयां हैं। महाधिवेशन में झामुमो वृहद झारखंड की परिकल्पना को एक बार फिर लोगों के जेहन में उभारने की तैयारी कर रहा है।

 रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का 13वां महाधिवेशन 14-15 अप्रैल को रांची के खेलगांव में होगा। दो दिवसीय इस केंद्रीय महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्तावों के जरिये दल की दिशा तय होगी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद शानदार तरीके से सत्ता में दोबारा वापसी के बाद पहला केंद्रीय महाधिवेशन का आयोजन हो रहा है।

इसमें झारखंड समेत उन राज्यों से लगभग चार हजार प्रतिनिधि शामिल होंगे, जहां संगठन की इकाइयां हैं। महाधिवेशन की तैयारियों के निमित्त लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। राजनीतिक प्रस्ताव तैयार करने को हुई बैठक में तय किया गया कि नीतिगत मसलों पर पार्टी मजबूती से अपना पक्ष रखेगी।
केंद्र सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए वक्फ संशोधन कानून के विरुद्ध पार्टी निर्णय करेगी। झामुमो ने झारखंड में विस्तारित होते प्रभाव को देखते हुए पड़ोसी राज्यों के आदिवासी बहुल इलाकों को मिलाकर वृहद झारखंड की परिकल्पना को एक बार फिर लोगों के जेहन में उभारने की तैयारी की है। खासकर झारखंड से सटे बंगाल और ओडिशा के जिलों में आदिवासी समुदाय की बहुलता है। इन इलाकों में पार्टी फोकस करेगी।

बंगाल में विधानसभा चुनाव भी होने वाला है। ऐसे में पार्टी वहां अपनी भूमिका का निर्धारण करेगी। हालांकि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के साथ झामुमो के बेहतर राजनीतिक संबंध को देखते हुए चुनाव में तालमेल का प्रयास हो सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में झामुमो ने तृणमूल कांग्रेस का समर्थन किया था।

 जिम्मेदारी और जश्न का समावेश

केंद्रीय महाधिवेशन में एक ओर फिर से सत्ता में वापसी को लेकर जश्न का माहौल होगा तो दूसरी तरफ पार्टी की अग्रिम व दूसरी कतार के नेताओं की जिम्मेदारी भी बढ़ेगी। इनपर राज्य सरकार की उपलब्धियों और कार्यक्रमों को निचले स्तर पर पहुंचाने की जवाबदेही होगी। विधानसभा चुनाव परिणाम के तत्काल बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विस्तारित केंद्रीय समिति की बैठक में इस आशय के निर्देश भी दिए थे।
नगर निकाय चुनाव में भी पार्टी की रणनीति पर फोकस

 राज्य में जल्द ही नगर निकाय चुनाव भी होंगे। हाई कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप करते हुए निर्देश जारी किया है। सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि पिछड़ों को आरक्षण के साथ निकाय चुनाव संपन्न हो। इसका लाभ झामुमो को मिल सकता है। महाधिवेशन में इस निमित्त भी रणनीति तैयार होगी।

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